डॉ अरुण भाटी आधिकारिक तौर पर अपने विषय के उत्कृष्ट कोटि के ज्ञाता है, इन्होंने आयुर्वेद विश्व भारती सरदारशहर से सन 2007 में प्रथम श्रेणी से स्नातक उत्तीर्ण किया। सन 2008 में पतंजलि योगपीठ में स्वामी रामदेव जी के सानिध्य में आचार्य बालकृष्ण जी को आदर्श मानते हुए चिकित्सा के क्षेत्र में कदम रखा।देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पंजाब में कोटकपूरा ,हनुमानगढ़, रायसिंहनगर ,पीलीबंगा, संगरिया में अपने उत्कृष्ट चिकित्सकीय ज्ञान से हजारों मरीजों को लाभ पहुंचाया। सन 2009 में इन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राजस्थान के श्रीगंगानगर प्रांत में अपनी सेवाएं शुरू कर दी।विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम, मलेरिया रोग नियंत्रण कार्यक्रम, कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम आदि लगभग 19 तरह की राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई ।साथ ही साथ आयुर्वेद क्षेत्र को अपनी नियमित सेवाएं देते रहे। डॉ भाटी ने लगभग एक लाख से अधिक रोगियों को अपने चिकित्सा पद्धति से लाभ पहुंचाया है।इसी बीच सन 2014 में उन्होंने स्वयं को क्षार सूत्र द्वारा चिकित्सा में सिद्ध हस्त करने के लिए मुंबई के पोद्दार आयुर्वेद महाविद्यालय में डॉ के राजेश्वर रेड्डी जी से प्रशिक्षण लिया। वर्तमान में आयुर्वेद के क्षेत्र में अपने निरंतर सेवाएं हनुमानगढ़ प्रांत में दे रहे हैं। विभिन्न तरह के उदर रोगों ,चमड़ी के रोगों, स्त्री रोगों का सफल उपचार कर हजारों रोगियों को लाभ पहुंचाया है। जोड़ों के दर्द एवं पुरुष रोगों में उपचार की इन्होंने अपनी पद्धति विकसित की है। बच्चों की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने एवं उनमें CRILI उदय के लिए यह अपनी शानदार टीम के साथ सन 2014 से ही “सुवर्णप्राशन संस्कार” करवा रहे हैं अब तक लगभग 12000 से अधिक बच्चों को सुवर्णप्राशन संस्कार करवा चुके हैं।स्वर्ण प्राशन का भी इनका शास्त्रीय तरीका अन्य से भिन्न इनको अलग श्रेणी में रखता है। इस तरह प्राचीन भारतीय परंपरा को आज आयुर्वेद के माध्यम से उन्होंने जीवित रखा है। डॉ भाटी चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करते हुए भी सतत अनुसंधानरत एवं अध्ययनरत रहकर आतुरों की सेवा में आप्त भाव से प्रयासरत हैं। चमड़ी के रोगों जैसे सोरायसिस एवम् उदर रोगों अल्सरेटिव कोलाइटिस व IBS जैसे रोगों में भी सुवर्ण एवम् अन्य औषधियों को सफलतापूर्वक प्रयोग किया है।
“सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया की कामना के साथ डॉक्टर अरुण भाटी सदैव आतुर जनों के साथ खड़े हैं।
जहाँ देखिए आयुर्वेद का नाम लेकर नुस्खों की भरमार है| …
ग्रीष्म ऋतु: इसे उत्तरायण काल कहा जाता है। इस काल में सूर्य तथा हवा शक्तिशाली होते हैं, जो लोगों के बल तथा पृथ्वी की शीतलता के गुण को छीन लेता है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार सूर्य की किरणें 21 जून को उत्तरी ध्रुव के 30 डिग्री मेरिडियन पर लंबवत होती है, जिसे ग्रीष्म…
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Hypertension is defined as an abnormal, persistent, elevation of systolic and/or diastolic blood pressure above the generally accepted normal level of up to 140/90 mmHg for adults. Note: Exercise, anxiety, discomfort and unfamiliar surroundings can…
Back pain: Causes Any pain in the posterior part of the trunk. Pain in the cervical spine region is referred to as neck pain, pain in the thoracic region is referred to as upper back pain, and pain in the lumbosacral region is known as lower back pain. Aetiology:…