ग्रीष्म ऋतु: इसे उत्तरायण काल कहा जाता है। इस काल में सूर्य तथा हवा शक्तिशाली होते हैं, जो लोगों के बल तथा पृथ्वी की शीतलता के गुण को छीन लेता है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार सूर्य की किरणें 21 जून को उत्तरी ध्रुव के 30 डिग्री मेरिडियन पर लंबवत होती है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। यह मकर रेखा के ट्रापिक से कर्क रेखा तक सूर्य की उत्तरवर्ती यात्रा होती है।
यह मौसम अत्यधिक गर्म होता है तथा व्यक्ति की ताकत/ बल क्षीण होता है।इस मौसम में वात का संचय तथा कफ का शमन होता है। जठराग्नि मृदु होती है। इस मौसम में अम्ल-लवण-कटु रस वाले आहार एवं उष्ण वीर्य(गर्म तासीर वाले) खान-पान से बचना चाहिए।
विहार(Lifestyle)- ठंडी जगह पर रहना,शरीर पर चंदन का लेप, फूल माला धारण, हल्के कपड़े पहनना, दिवाशयन(दिन में सोना) लाभकारी है। रात को चंद्रमा की शीतल किरणों के नीचे सोना अच्छा है। अधिक व्यायाम तथा कठोर कार्य नहीं करना चाहिए। मैथुन तथा मध का त्याग करना चाहिए या बहुत कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। इस मौसम में प्रथम तो कम मात्रा में भोजन करना चाहिए साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए कि भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, प्याज, भिंडी, पेठा(कुष्मांड), जीरा,चावल, गेहूं, ज्वार, साबुत मूंग तथा मसूर की दाल खाएं। सभी प्रकार के फलों का सेवन किया जा सकता है। अंजीर, खजूर, दूध, घी, मक्खन युक्त छाछ, मक्खन, धनिया, जीरा का सेवन अच्छा है।
(आइसक्रीम कम मात्रा में लेवे)
उबालकर ठंडा किया हुआ पानी पीना चाहिए। फलों का रस पिए।
कपूर-चंदन-खस युक्त पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हितकर है।
ध्यान दें कि बाजरा लहसुन मिर्च गरम मसाले अचार पापड़ मध्य धूम्रपान तथा गरिष्ठ भोजन का त्याग करें।
मई में पंचकर्म –
चंदन बला लाक्षादी तैल से अभ्यंग करना चाहिए।
बस्ती, दुग्घ से शिरोधारा करवानी चाहिए।
नेत्र धारा या धावन करना चाहिए।
योग से काया को revitalize तथा rejuvenate करना चाहिए।व्यायाम नहीं करना चाहिए।
शवासन से शरीर पर relaxing and cooling effect होता है।
Common summer diseases and way to prevent them
*Flu
*Food and water borne diseases (such as typhoid,
cholera,hepatitis A, food poisoning and diarrhoea)
*sore eyes
*measles
*mosquito borne diseases e.g. dengue malaria and
*various skin conditions
Flu- ग्रीष्म ऋतु में अनिश्चित मौसम के कारण, बारिश होने पर flu/influenza फैलने का खतरा बढ़ जाता है। बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना एवं बचाव ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है। बचाव के लिए नाक में मुंह को ढक कर रखना चाहिए तथा प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के रसायन औषध एवं सुवर्णप्राशन संस्कार अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Sore eyes- conjunctivitis (नेत्राभिष्यन्द) गर्मी में फैलता है,जो कि सही उपचार न करने पर अंधता का कारण भी बन सकता है। यह विषाणु/जिवाणु के कारण होता है, जो कि संक्रामक है अतः अन्य लोगों में भी फैल सकता है।इससे बचाव के लिए खाने से पहले या बाद में हाथ धोने और धुलवाने चाहिए तथा पूर्ण उपचार लेना चाहिए।
Stomach ailments ( उदर विकार)
अशुद्ध खाने पीने से उल्टी तथा दस्त हो सकते हैं,अतः गर्मी में स्ट्रीट फूड/ पैकिंग फूड से बचना चाहिए क्योंकि गर्मी में खाना बहुत जल्दी खराब होता है,जिसे खाने से उल्टी व दस्त हो सकते हैं।
Skin diseases- गंदे पानी स्विमिंग पूल मैं नहाने से या पसीने के कारण शरीर के अंदरूनी हिस्सों में नमी बने रहने से त्वक रोग होने के खतरे बने रहते हैं।साथ ही ग्रीष्म ऋतु में पित्त संचय भी त्वक रोग होने का कारण है।
Skin burn- सूर्य की रोशनी में त्वचा के ज्यादा रहने से त्वचा लाल, जल हुई,सूजन युक्त एवं irritated हो जाती है।
बचने के लिए outdoor activities सुबह 11.00 से 4.00 बजे तक बाहर नहीं निकलना चाइए।
सूर्य से बचने वाले cream या sun screen का प्रयोग करना चाहिए। ठंडी जगहों पर रुकने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि अधिक गर्मी में हीट स्ट्रोक होने के खतरे भी बढ़ जाते हैं। जिससे fainting, Nausia (जी घबराना), disorientation, dizziness तथा thrombing headache की शिकायत होती है।
food and water born disease केबचने के लिए खाना ठीक से पकाएं तथा गर्म होने पर ही खा लेना चाहिए क्योंकि गर्मी के मौसम में खाना जल्दी खराब होने लगता है| बचे हुए खाने को फ्रिज में रखें परंतु दोबारा यूज करने से पहले जरूर गर्म करें |यदि आप बीमार हैं तो दूसरों के लिए खाना नहीं बनाना चाहिए तथा भोजन तैयार करने से पहले और खाने के पहले – बाद में हाथ जरूर धोने चाहिए|
दिन में 8-10 गिलास पानी पिए तथा अशुद्ध पानी एवं बेकार ठंडे पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए|
बहुत सारे फल एवं सब्जियां खाने से भी dehydration से बचा जा सकता है।